मंगलवार, 23 जून 2009

सब उसका है.


मैंने जो कुछ खोया हैं, सब उसका है,
जो कुछ पाया है , सब उसका है .
जब मैं टूटा , वो भी टूटा ,
यहाँ वहा जो बिखरा हैं, सब उसका है.
मुझ में जो कुछ अच्छा है , सब उसका है,
जो कुछ भी बुरा हैं , सब उसका हैं,
मेरी आँखें उसके नूर से रोशन है ,
जो भी देखा है , सब उसका है ,
जो बह गया आँखों से , सब उसका है,
जो ढल गया निघओं मैं , सब उसका है.

3 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

जो कुछ लिखाओअने सब अच्छा.
कुछ और जो उनका होता , वो भी लिखते तो अच्छा होता...

बेनामी ने कहा…

जो कुछ लिखा, सब अच्छा हैं...
कुछ और जो उनका होता , वो भी लिखते तो अच्छा होता...

उम्मीद ने कहा…

kya baat hai aap to bhut hi achchha likhne lage hai
keep it up

 

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