शनिवार, 11 जुलाई 2009

अफ़सोस

होंटों पे हंसी देख ली दिल के अंदर नहीं देखा,
आप ने मेरे ग़मों का समुंदर नहीं देखा,
कितनी खूब सूरत है ये दुनिया ये देखा है आप ने,
जी जी के मरने वालोह का मंज़र नहीं देखा,
शीशे का मकान तू ने बना तो लिया है दोस्त,
लेकिन वक़्त के हाथ का पथेर नहीं देखा ,
रिश्तों के टूटने का दर्द तुम क्या जानो ,
वो लम्हा तुम ने कभी जी कर नहीं देखा,
भटके रौशनी की तलाश में न जाने कहाँ कहाँ,
अफ़सोस के अपनी रूह के अंदर ही नहीं देखा।

सोमवार, 6 जुलाई 2009

दामन

यूँ न मुझ को देख तेरा दिल पिघल न जाये
मेरे आंसुओ से तेरा दामन जल न जाये।
वो मुझ से फिर मिला है आज खाव्वाबों में
ऐ खुदाया कहीं मेरी नींद खुल न जाये।
पूछा न कर सब के सामने मेरी कहानी
कहीं तेरा नाम होटों से निकल न जाये।
यूँ न हँस के दिखा दुनिया को ,
कहीं दो आंसों निकल न जाए ।
जी-भर के देख ले हम तुम को सनम
क्या पता फिर ज़िन्दगी की शाम ढल न जाए।
 

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