सोमवार, 25 मई 2009

मुख्तलिफ

सो गई है दुआ हथेली पर ,इक नज़र ऐ खुदा हथेली पर , वोह भी तकदीर से गुरेज़ाँ है ,मैं भी तकता रहा पर, हथेली पर
दे गया उम्र भर के अंधियारे ,एक बुझता दिया हथेली पर , कह गया कितनी अनकही बातें ,फूल रखा हुआ हथेली पर ,
खो गया मुख्तलिफ लकीरों मैं ,जब भी आंसू गिरा हथेली पर , देखले खुद भी अपनी आँखों से ,अपने रब की अता हथेली पर .

बुधवार, 20 मई 2009

सादगी

हमने आज होटों पे हसी ,
आंखों में नमी देखी ।
जो तुझे हर शख्स से अलग कर दे ,
वो सादगी देखी ।
अश्क रुकते नहीं आँखों में ,
गरीबों की बेकसी देख कर ,
चंद टुकडो के लिए ,
कभी आंसो कभी खुशी बेचीं ।
मेरी आंखों में जो नूर हैं ,
आज सादगी की रौशनी देखी ।
गेम ऐ ज़िन्दगी की जुश्त्जो ,
को निभाने की इमितिहाँ,
आज फूलों में भी वो तपिश देखी ।

शुक्रवार, 15 मई 2009

नज़र

अपने चेहरे से जो जाहिर हैं, वोह छुपाइये कैसे

तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आए कैसे ।

कितनी दिलकश हैं उसकी खामोशी ,

बाकि बातें तौ फिजोल हो जैसे ।

यूँ न मिल हमसे खफा हो जैसे ,

हमसे मिल मओजे सबा हो जैसे ।

कोई अपनी नज़र से ही तौ देखेंगा ,

एक कतरे को समंदर नज़र आए कैसे ।

बुधवार, 13 मई 2009

अश्क

गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काटों से भी जीनत होती हैं,
जीने के लिए इस दुनिया में गम की भी ज़र्रूरत होती हैं
ऐ दिल ऐ नादाँ कहता हैं, ये अश्क नहीं है मेरा दिल हैं,
जो अश्क न छलके आंखों से उस अश्क की कीमत होती हैं/

महोब्बत नहीं मिटती

इसी को तो उम्मीद कहते है ,
हस्ती मिट जाती है पर उम्मीद नहीं मिटती.
सोचा था सब कुछ भुला देंगे हम ,
कमवक़्त इस दिल से तेरे महोब्बत नहीं मिटती.
 

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