अपने चेहरे से जो जाहिर हैं, वोह छुपाइये कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आए कैसे ।
कितनी दिलकश हैं उसकी खामोशी ,
बाकि बातें तौ फिजोल हो जैसे ।
यूँ न मिल हमसे खफा हो जैसे ,
हमसे मिल मओजे सबा हो जैसे ।
कोई अपनी नज़र से ही तौ देखेंगा ,
एक कतरे को समंदर नज़र आए कैसे ।
1 टिप्पणियाँ:
i think aap ko enginnering chhod kar poet hi bane rahna chahiye
kitna accha likhte hai aap
or waise ek baat batao hai kiske ware main.....???????
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