बुधवार, 13 मई 2009

अश्क

गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काटों से भी जीनत होती हैं,
जीने के लिए इस दुनिया में गम की भी ज़र्रूरत होती हैं
ऐ दिल ऐ नादाँ कहता हैं, ये अश्क नहीं है मेरा दिल हैं,
जो अश्क न छलके आंखों से उस अश्क की कीमत होती हैं/

1 टिप्पणियाँ:

maandarpan ने कहा…

bhut acchi rachna
maan ko chu gai

 

हिन्दी ब्लॉग टिप्सः तीन कॉलम वाली टेम्पलेट