सोमवार, 6 जुलाई 2009

दामन

यूँ न मुझ को देख तेरा दिल पिघल न जाये
मेरे आंसुओ से तेरा दामन जल न जाये।
वो मुझ से फिर मिला है आज खाव्वाबों में
ऐ खुदाया कहीं मेरी नींद खुल न जाये।
पूछा न कर सब के सामने मेरी कहानी
कहीं तेरा नाम होटों से निकल न जाये।
यूँ न हँस के दिखा दुनिया को ,
कहीं दो आंसों निकल न जाए ।
जी-भर के देख ले हम तुम को सनम
क्या पता फिर ज़िन्दगी की शाम ढल न जाए।

2 टिप्पणियाँ:

उम्मीद ने कहा…

aap ne bhut hi sundar rachna di hai ......aap ka kavya shasakt hai aap ki rachna se pata chal jata hai ........badhai swaikar karain

alfaz ने कहा…

Shukriya chalo koi to pad leta hain mere blog ko. lekin aap ne kuch naya nahin likha abhi tak.
have a good day.

 

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