गुरुवार, 11 जून 2009

हमने देखा है

हमने फूलों को काँटों के बीच खिलते हुए देखा हैं।
फलक का चाँद, बादलों के बीच निकलते हुए देखा है .
कराहने की आवाज़ गुम हो जाती हैं ,
हमने दिलो को पत्थर बनते हुए देखा हैं ।
उनके कंधे पे सर रख कर जब रोया था,
बूँद को मोती बनते हुए देखा है.
सच कहतें है मोहब्बत की जुबान नहीं होती ,
लफ्जों को लबो पे रुकते हुए देखा है.
एक वक़्त था जब नज़र ढूंढा करती थी उन्हें,
आज उन को नज़र चुरातें हुए देखा है.
लोग मजाक उडाते हैं गरीबों का,
हमने गरीबी से अमीरी का फासला देखा है.
ग़र्दिश में आता है ऐसा भी मुकाम,
हमने दिल को दिमाग से लड़ते हुए देखा हैं.

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