शनिवार, 20 जून 2009
कुछ
उम्र में हादसे भी ज़रूरी है कुछ ,
फासले भी ज़रूरी हैं कुछ,
आप रखे न रखे ,
आपसे रंजिश भी ज़रूरी है कुछ
खो दिया तुम्हे इस ज़िन्दगी मैं ,
खो के पाना भी ज़रूरी है कुछ
हमने माना की एक ख्वाब है ज़िन्दगी ,
ख्वाब में कहकहे भी ज़रूरी है कुछ,
हँस हँस के आन्जन ना हो अपने आप से,
आँखों में आंसों भी ज़रूरो है कुछ
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1 टिप्पणियाँ:
bhut achchha likha hai aap ne
bhut gahrai nazar aati hai aap ke kavya main
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